हरिद्वार कुंभ: चैत्र पूर्णिमा पर अंतिम शाही स्नान, सीमित संख्या में पहुंचे साधु-संत

हरिद्वार : हरिद्वार कुंभ में आखिरी शाही स्नान चैत्र पूर्णिमा भी सम्पन्न हो गया। इस दौरान कोरोना का असर साफ देखने को मिला। चैत्र पूर्णिमा के दिन शाही स्नान के अवसर पर हरकी पैड़ी सहित गंगा घाटों पर साधु, संतों सहित श्रद्धालुओं की संख्या सीमित थी। बता दें प्रत्येक अखाड़े के लिए 100 संतों के स्नान का नियम था।
मेलाधिकारी दीपक रावत ने बताया कि कि शाही स्नान के दौरान उत्तराखंड सरकार की गाइडलाइंस को पूरी तरह ध्यान में रखते हुए कुंभ की सभी परंपराओं का पालन भी किया जा रहा है। अखाड़ों से साधु-संत सीमित संख्या में स्नान के लिए आ रहे हैं। उनके द्वारा वाहन भी सीमित संख्या में प्रयोग किये जा रहे हैं। इसके अलावा स्नान के लिए जो समय सारिणी मेला पुलिस-प्रशासन ने तय की है, उसका पूर्ण रूप से पालन किया जा रहा है।
सुबह 9 बजकर 30 मिनट तक हरकी पैड़ी पर आम श्रद्धालुओं ने स्नान किया। इसके बाद सबसे पहले पंचायती अखाड़ा निरंजनी के संत स्नान के लिए पहुंचे। आराध्य देव भगवान कार्तिकेय और मां गंगा की पूजा अर्चना के बाद संतों ने गंगा में डुबकी लगई।
संतों ने शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए स्नान किया। वहीं, इसके बाद पंचदशनाम जूना अखाड़ा,  पंच अग्नि, आह्वान अखाड़ा के संत हरकी पैड़ी पहुंचे और आराध्य देव और गंगा पूजन के बाद शाही स्नान शुरू किया। इसके बाद बैरागियों का स्नान शुरू हुआ।
महाकुंभ के अंतिम शाही स्नान में निरंजनी अखाड़े के संतों ने 10.45 बजे तक स्नान किया और 11.05 बजे रोड़ी वापस पहुंचें। वहीं, जूना, अग्नि और आह्वान अखाड़े के संत 10.50 बजे ब्रह्मकुंड पहुंचे। उन्होंने 11.20 बजे तक स्नान किया और करीब 11.40 बजे रोड़ी छावनी में वापस लौट गए। 
इसके बाद बैरागियों की निर्माणी, दिंगबर और निर्मोही अखाड़े की तीनों अणियां ब्रह्मकुंड पहुंचीं और 1.30 बजे तक स्नान किया। पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के संत 2.50 बजे ब्रह्मकुंड पहुंचे। 3.20 तक स्नान करने के बाद 3.40 बजे रोड़ी पहुंचे।
वहीं, पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के संत 4.50 बजे ब्रह्मकुंड पहुंचेंगे और 5.05 बजे तक स्थान करने के बाद लौटेंगे। निर्मल अखाड़े के संत पांच बजे ब्रह्मकुंड पहुंचेंगे और 5.25 बजे तक स्नान करेंगे। 
बता दें कि महाकुंभ समापन से पहले ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद दो फाड़ हो गई है। बैरागी अखाड़ों ने अलग से अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़ा परिषद का गठन किया है। श्रीपंच दिगम्बर अणि अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत रामकृष्ण दास नगरिया को सर्वसम्मति से परिषद का अध्यक्ष चुना गया है।
संन्यासी अखाड़ों महाकुंभ सिर्जन की घोषणा के बाद बैरागी और संन्यासी अखाड़ों के बीच तनाव पैदा हो गया था। आखिरकार लंबे समय तक चले गतिरोध अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद बैरागी और संन्यासी अखाड़े एक दूसरे से अलग हो गए। 

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