इस बार भी नहीं होगी कैलाश मानसरोवर और आदि कैलाश यात्रा, ये है वजह

देहरादून। प्रमुख धार्मिक कैलाश मानसरोवर यात्रा के आयोजन की सभी संभावनाएं अब समाप्त हो चुकी हैं। लगातार दूसरे वर्ष यह यात्रा आयोजित नहीं होगी। इसके साथ ही चलने वाली आदि कैलाश यात्रा को आयोजक संस्था कुमाऊं मंडल विकास निगम ने निरस्त कर दिया है। 60 यात्रियों के 16 समूहों की यह यात्रा आठ जून के आसपास शुरू होकर सितंबर तक चलती रही है। कैलाश मानसरोवर यात्रा का देश भर के शिव भक्त बेसब्री से इंतजार करते हैं। यात्रा का आयोजन विदेश मंत्रालय की ओर से किया जाता है जबकि यात्रा की तमाम व्यवस्थाएं कुमाऊं मंडल विकास निगम करता है। यात्रा के लिए जनवरी में विदेश मंत्रालय आवेदन आमंत्रित करता है और लाटरी से यात्रियों का चयन किया जाता है। इसके बाद उनके मेडिकल, वीजा आदि की औपचारिकताएं की जाती हैं। कुमाऊं मंडल विकास निगम यात्रा मार्ग की रैकी, पर्यटक आवास गृहों के सुधार, खान पान, सामान की ढुलाई आदि की व्यवस्था करता है। मई की शुरुआत तक ये व्यवस्थाएं हो जाती हैं।
निगम के प्रबंध निदेशक मीणा ने बताया कि इस संबंध में इस वर्ष अब तक विदेश मंत्रालय की ओर से यात्रा को लेकर कोई पहल नहीं हुई है। कहा कि आदि कैलाश यात्रा मानसरोवर यात्रा के साथ ही चलती है तो वही आधारभूत सुविधाएं आदि कैलाश में भी काम आ जाती हैं। मीणा ने बताया कि केवल आदि कैलाश यात्रा का आयोजन आर्थिक रूप से संभव नहीं है। कोरोना के हालात गंभीर हैं और निगम के तमाम पर्यटक आवास गृह भी क्वारंटीन सेंटर बने हुए हैं। इसलिए इसे निरस्त कर दिया गया है।
यात्रा  की व्यवस्थाओं से लंबे समय तक जुड़े रहे निगम के पूर्व पर्यटन विकास अधिकारी विपिन पांडे बताते हैं कि अब इन यात्रा संबंधी तमाम व्यवस्थाओं के लिए समय नहीं बचा है। ऐसे में यात्रा की संभावनाएं अब पूरी तरह खत्म हो चुकी हैं। पांडे ने बताया कि 1962 के भारत चीन युद्ध के बाद से चीन से अनुमति न मिलने के कारण यह यात्रा बंद थी। 1981 में यह यात्रा फिर प्रारंभ हुई  और तब से यह जारी थी। गत वर्ष कोरोना के कारण यह स्थगित रही। 1998 में यात्रा के दसवें ग्रुप के सारे सदस्यों और यात्रा के साथ चल रहे निगम कर्मियों के मालपा हादसे में मारे जाने के बाद यह यात्रा उस वर्ष स्थगित कर दी गई थी। कैलाश मानसरोवर यात्रा में चीन के वीजा, सीमित यात्री संख्या आदि के प्रतिबंध होते हैं जबकि आदि कैलाश भारत में ही होने के कारण इसमें जाना अपेक्षाकृत आसान होता है। कैलाश को शिव, पार्वती और उनके परिवार का धाम माना जाता है  इसके प्रति श्रद्धालुओं में भारी आकर्षण रहता है।
बता दें कि 20702 फीट की ऊंचाई पर स्थित आदि कैलाश यात्रा मार्ग में काली नदी ब्यास और चैंदास घाटी में बहुत आकर्षक नजारे देखने को मिलते हैं। इसके अलावा यात्रा मार्ग में ओम पर्वत, गौरी कुंड, पार्वती ताल यात्रियों की आस्था के केंद्र हैं। इस क्षेत्र में पांडवों ने अज्ञातवास का समय बिताया था उनकी माता कुंती के नाम पर कुटी गांव भी यात्रियों के आकर्षण का केंद्र है।

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