यहां के मनीष ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा, देखिए तस्वीरें

पिथौरागढ़ : जिले के मनीष कसनियाल ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया है। 26 वर्षीय मनीष ने अपनी महिला साथी सिक्किम की मनीता प्रधान के साथ विषम परिस्थिति में ये उपलब्धि हासिल की। इन्होंने 8848 मीटर की विश्व की सबसे ऊंची चोटी को फतेह कर लिया है। भारतीय पर्वतारोहण संस्थान (आईएमएफ) के बैनर तले मनीष ने मंगलवार सुबह पांच बजे एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया।
इस अभियान में देश भर के कुल 12 पर्वतारोहियों को शामिल किया गया था। पिथौरागढ़ के मनीष के साथ ही सिक्किम की मनिता प्रधान भी इस अभियान में मौजूद हैं। इनके एवरेस्ट फतह करने से पूरे देश में खुशी की लहर फैल गई है।


इस अभियान के लिए मनीष 28 मार्च को दिल्ली से नेपाल को निकले थे। छह अप्रैल से उन्होंने अभियान के लिए कड़ा प्रशिक्षण लिया। इस अभियान दल को केंद्रीय युवा कल्याण मंत्री किरन रिजिजू ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। एवरेस्ट विजेता मनीष सोशल मीडिया पर भी अपने अभियान की जानकारी लगातार देते रहे। 14 अप्रैल से आठ मई तक अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट करते रहे। आठ मई की पोस्ट में वे एवरेस्ट के आधे रास्ते पर थे।
हिमालय की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट तक पहुंचना आसान नहीं है। लेकिन पिथौरागढ़ के लोगों में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराने का जुनून है। इस पिथौरागढ़ से अब तक 9 पर्वतारोही माउंट एवरेस्ट का किला फतह कर चुके हैं। 


आइस संस्था के पर्वतारोही मनीष कसनियाल 2018 में वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ इंडिया भी अपने नाम कर चुके हैं। उन्होंने सबसे कम उम्र में नंदा लपाक पर्वत की अननेम्ड चोटी को फतह किया था। वहीं, 28 साल की उम्र में एवरेस्ट मिशन को फतह कर मनीष ने साबित कर दिया कि अगर हौंसलों में उड़ान हो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं होता है। 
मनीष के एवरेस्ट फतह करने की सूचना मिलते ही परिवार के लोगों में खुशी का माहौल है। उनके पिता ने बताया उन्हें नेपाल से बेटे के एवरेस्ट पर सफल आरोहण की सूचना मिली। मनीष का बचपन से साहसिक खेलों से जुड़ाव रहा है। एवरेस्ट फतह करने पर गर्व महसूस हो रहा है। 
मनीष ने पर्वतारोही आइस संस्था के बासू पांडेय और जया पांडेय से पर्वतारोहण की बारीकियां सीखीं हैं। बचपन से ही मनीष को साहसिक खेलों में रुचि थी। मनीष को साहसिक खेलों में लाने वाले उनके पर्वतारोही गुरु बासू देव पांडेय और जया पांडेय हैं। वर्ष 2008 में आइस संस्था से जुड़े। इसके बाद उन्होंने साहसिक खेलों में अपना हुनर निखारा।

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