केदारनाथ आपदा को आज पूरे हुए आठ साल, आपदा की दृष्टि से केदारपुरी अब हुई काफी सुरक्षित

रूद्रप्रयाग : आज से आठ साल पहले 16 जून 2013 को आज ही के दिन कुदरत ने केदारनाथ समेत राज्य के पर्वतीय जिलों में जो तांडव मचाया था, जिसे याद कर के आज भी रूह काँप उठती है। केदारनाथ की जलप्रलय चार हजार से अधिक लोगों को निगल गई। 
आपदा के आठ वर्ष बाद केदारपुरी का नजारा पूरी तरह बदल चुका है। इस अंतराल में केदारपुरी जहां आपदा की दृष्टि से काफी सुरक्षित हो गई है, वहीं यात्री सुविधाएं भी पहले से कहीं अधिक बेहतर हुई हैं। हालाकि राज्य सरकार की तरफ़ से आपदा में तबाह हुई केदारपुरी को संवारने की कोशिशें लगातार जारी हैं। लेकिन इतने सालो बाद भी केदारपुरी क्षेत्र में पुनर्निर्माण के मरहम से आपदा के जख्म पूरे नहीं भर पाए हैं। 
केदारनाथ धाम में पुर्ननिर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल केदारनाथ में पुर्ननिर्माण का प्रथम चरण का कार्य पूर्ण हो चुके हैं और द्वितीय चरण के कार्य केदारनाथ धाम में चल रहे हैं, जिसमें धाम में आदिगुरू शंकराचार्य समाधी पुर्ननिर्माण के साथ ही शंकराचार्य की विशाल मूर्ति, तीर्थ पुरोहित आवास और घाटों के निर्माण का कार्य भी चल रहा है। यही नहीं, यात्रा की दृष्टि से देखा जाए तो तीर्थयात्रियों के खाने, ठहरने जैसी सुविधाओं को व्यवस्थाओं में सुधार हुआ। इससे साफ है कि बीते वर्षों में यात्रा पटरी पर लौटी, लेकिन कोरोना की मार से धाम में बीते दो वर्षों से सन्नाटा पसरा हुआ है। 
आपदा के बाद शुरुआती दो वर्ष जरूर यात्रा फीकी रही, लेकिन बाद के वर्षों में उसने पुराने सभी रिकार्ड ध्वस्त कर दिए। वर्ष 2019 में पहली बार दस लाख से अधिक यात्री केदारनाथ दर्शनों को पहुंचे।
16-17 जून 2013 की तबाही के बाद यकीन नहीं हो पा रहा था कि भविष्य में केदारनाथ यात्रा शुरू भी हो पाएगी। लेकिन, बीते आठ वर्षों में यात्रा ने जो गति पकड़ी, उससे सारी आशंकाएं निर्मूल साबित हुईं। खास बात यह कि आपदा के बाद केदारपुरी में सुविधाओं का तेजी से विकास हुआ। इससे देश-दुनिया में केदारनाथ यात्रा पूरी तरह सुरक्षित होने का संदेश भी गया।

केदारनाथ आपदा में हुई तबाही :
- केदारनाथ आपदा में 4400 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए।
- 4200 से अधिक गांवों का पूरी तरह से संपर्क टूट गया।
- 2141 भवन पूरी तरह से नष्ट हो गए।
- जलप्रलय में 1309 हेक्टेयर कृषि भूमि बह गई ।
- सेना व अर्द्ध सैनिक बलों ने 90 हजार लोगों को रेस्क्यू किया।
- 30 हजार लोग पुलिस ने बचाए।
- 55 नरकंकाल सर्च ऑपरेशन में खोजे गए।
- 991 स्थानीय लोग अलग अलग जगहों पर मारे गए।
-11,000  से अधिक मवेशी बह गए या मलबे में दब गए।
- 1,309 हेक्टेयर भूमि बाढ़ में बह गई।
- 2,141 भवनों का नामों-निशान मिट गया।
- 100 से ज्यादा बड़े व छोटे होटल ध्वस्त हो गए।
-  90 हजार यात्रियों को यात्रा मार्गों से सेना ने  निकाला।
-  30 हजार स्थानीय लोगों को पुलिस ने सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।
-  09 राष्ट्रीय व 35 स्टेट हाईवे क्षतिग्रस्त हो गए।
-  2385 सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा।
-  86 मोटर पुल और 172 बड़े व छोटे पुल बह गए।

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