सिर्फ रक्षाबंधन के दिन खुलता है चमोली में स्थित यह मंदिर, जानिए इसके बारे में

चमोली। उत्तराखंड के चमोली जिले में एक मंदिर ऐसा है जिसके कपाट सिर्फ एक दिन के लिए खुलते है और वो शुभ दिन होता है रक्षा बंधन का दिन। भारत में अनेकों मंदिर है जिनके कपाट भक्तों के लिए केवल कुछ समय के लिए खुलते हैं लेकिन इस मंदिर में सिर्फ एक दिन भगवान की पूजा की जाती है। ये मंदिर चमोली जिले के जोशीमठ विकासखंड की उर्गम घाटी में स्थित है। कल रक्षाबंधन के अवसर पर भगवान श्री वंशीनारायण मंदिर के कपाट एक दिन के लिए खोले गए। ऐसे में आसपास के गांवों से बहने भगवान श्री वंशीनारायण के दर्शन और मंदिर परिसर में अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधने पहुंचे।
मान्यता है कि साल के बाकी 364 दिन यहां देवर्षि नारद भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान वंशी नारायण के इस मंदिर के कपाट रक्षाबंधन पर ही खोले जाते हैं और उसी दिन सूर्यास्त से पूर्व बंद भी कर दिए जाते हैं। वंशी नारायण मंदिर उत्तराखंड के चंबोली जिले में स्थित है। इस मंदिर में भगवान की पूजा-अर्चना शाम को सूरज ढलने से पहले तक ही जाती है। इस मंदिर में पूजा लगभग 4 बजे तक ही की जाती है। 
समुद्रतल से 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित वंशीनारायण मंदिर का निर्माण काल छठी से लेकर आठवीं सदी के बीच का माना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवकाल में हुआ। वंशीनारायण मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा होती है, लेकिन साल में सिर्फ रक्षाबंधन के दिन। 
सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार सिर्फ इसी दिन मनुष्य यहां दर्शन और पूजा-अर्चना कर सकते हैं। बाकी पूरे वर्ष मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। कातयूरी शैली में बने 10 फिट ऊंचे इस मंदिर का गर्भ भी वर्गाकार है। जहां भगवान विष्णु चर्तुभुज रूप में विद्यमान है।
इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर की प्रतिमा में भगवान नारायण और भगवान शिव दोनों के ही दर्शन होते हैं। वंशी नारायण मंदिर में भगवान गणेश और वन देवियों की मूर्तियां भी मौजूद हैं। इस मंदिर तक पहुंचना भी आसान नही है। यहां पहुंचने के लिए बद्रीनाय हाईवे से उन्मद घाटी तक आठ किलोमीटर की दूरी वाहन से तय करनी पड़ती है। इसके 12 किलोमीटर का मुश्किल रास्ता शुरू होता है। यह रास्ता बहुत ही ज्यादा उबड़ खाबड़ है। जिस पर चलना अत्यंत ही कठिन है।

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