आज ही नवरात्र की अष्टमी और नवमी, लोगों ने कन्या जिमाकर और पूजन कर लिया माता का आशीर्वाद

देहरादून : आज देहरादून में नवरात्र की अष्टमी व नवमी पर कन्या पूजन के साथ भक्तों द्वारा मां का आशीर्वाद लिया जा रहा है। भक्त लोगों ने कन्या जिमाकर माता का उध्यापन किया। ज्यादातर लोग नवमी तिथि पर ही कन्या पूजन कर रहे हैं। अष्टमी सुबह 6 बजकर 57 मिनट तक ही थी और इसके बाद नवमी शुरू हो गई, जिसमें कन्या पूजन के साथ ही माता रानी की कृपा प्राप्त करने का उत्तम संयोग बना है।
आज शनिवार को माता वैष्णो देवी गुफा योग मंदिर टपकेश्वर महादेव में नवमी तिथि शुरू होने के बाद कन्या पूजन किया गया। मंदिर के संस्थापक आचार्य विपिन जोशी ने बताया कि नवरात्र के समान ही पूरे साल माताओं, बहनों व कन्याओं का सम्मान किया जाना चाहिए।
श्री मां कालिका मंदिर में भी कन्या पूजन के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ भी संपन्न किया गया। आचार्य चंद्र प्रकाश ममगाईं ने नवरात्र का महत्व बताते हुए कहा कि नवरात्र में देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
श्री पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर में देवी के महागौरी और सिद्धिका स्वरूप की पूजा-अर्चना की गई। मंदिर के दिगंबर दिनेश पुरी ने कहा कि शनिवार शाम को सूक्ष्म गरबा का आयोजन भी किया गया है।
इसके अलावा पूरे शहरभर में घरों में कन्या जिमाने का सिलसिला जारी है। मंदिरों में दिनभर पूजन का क्रम जारी रहेगा। जबकि, शाम को भजन और आरती की जाएगी।

हरिद्वार में एक साथ अष्टमी-नवमी का पूजन 
हरिद्वार में भी नवरात्र पर्व पर महानगर में श्रद्धालुओं ने अष्टमी महागौरी मां एवं नवम सिद्धीदात्री देवी की मन्दिरों में जाकर श्रद्धा भक्ति भाव से पूजा-अर्चना की। इसके साथ ही उन्होंने नौ दिन से चल रहे व्रत का कन्या जिमाकर व्रत तोड़ा। स्थानीय मन्दिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगने शुरू हो गई थी। मन्दिरों में अष्टमी महागौरी एवं नवम सिद्धीदात्री देवी की पूजा-अर्चना करने के लिये भक्तजनों की अपार भीड़ लगी रही। कई मन्दिरों में लोगों को पूजा-अर्चना करने के लिये लाइनें भी लगानी पड़ी।
नगर के प्रमुख मन्दिरों में शामिल प्राचीन चंडी देवी मन्दिर, मनसा देवी मंदिर, माया देवी मंदिर, दुर्गा मन्दिर, वैष्णों देवी मन्दिर, शीतला मन्दिर सहित कई मन्दिरों में भारी भीड़ रही। श्रद्धालुओ ने कन्याओं को घर में बुलाकर चरण धुलवाए और इसके बाद टिका कर प्रसाद वितरित किया। उन्होंने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा के साथ उपहार भी भेंट में दिए। 

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