एसडीएम वैभव गुप्ता ने कहा कि अभी कोरोना का खतरा टला नहीं है कोरोना नए-नए रूप बदलकर आ रहा है इसलिए हमें कोविड गाइडलाइन के अनुरूप ही काम करना होगा ताकि कोरोना को मात दे सकें

देहरादून जिले में 77 लोग संक्रमण की चपेट में आए हैं। हरिद्वार में 15, नैनीताल में 91, पौड़ी में 28, अल्मोड़ा में एक,  ऊधमसिंह नगर में 34, टिहरी में पांच, पिथौरागढ़ जिले में आठ संक्रमित मिले हैं। उत्तराखंड में पिछले 24 घंटे में 189 नए संक्रमित मिले हैं। अब प्रदेश में फिर से संक्रमितों का ग्राफ बढ़ने लगा है, प्रदेश में अब तक 345653 लोग संक्रमित हो चुके हैं। वहीं आज 104 लोग ठीक हुए हैं।


पौड़ी में बढ़ रहे कोरोना के मामले जिले में एक बार फिर से कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने लगे हैं। अभी तक जिले में 69 एक्टिव केस सामने आए हैं। इनमें अधिकांश लोग बाहरी राज्यों से आए हैं। अधिकांश मामले यमकेश्वर क्षेत्र में हैं।सोमवार को मिले इतने मामले सोमवार को देहरादून जिले में 71 लोग संक्रमण की चपेट में आए हैं। हरिद्वार में 12, नैनीताल में 18, पौड़ी में 44, अल्मोड़ा में नौ, ऊधमसिंह नगर में 22, टिहरी में चार, पिथौरागढ़ में छह, चमोली, चंपावत व उत्तरकशी जिले में एक-एक संक्रमित मिले हैं।


 राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान के चार छात्र कोरोना संक्रमित मिले हैैं। जिला सर्विलांस अधिकारी डा. राजीव दीक्षित ने इसकी पुष्टि की है। संस्थान की ओर से छह छात्रों की एंटीजन जांच की गई थी। जिनमें चार छात्रों की रिपोर्ट पाजिटिव आई। इन्हें परिसर में ही आइसोलेट किया गया है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग की टीम ने यहां करीब 200 स्टाफ व छात्रों के सैैंपल लिए हैैं। इसके अलावा मैक्स अस्पताल में भी स्टाफ के छह लोग संक्रमित मिले हैैं।


हालांकि, जिले में अभी तक ओमिक्रॉन का कोई मामला सामने नहीं आया है। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया है। जनपद की सीमा पर बाहर से आने वाले लोगों की जांच बढ़ा दी गई है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. प्रवीन कुमार ने बताया कि कोरोना से बचाव के लिए तय नियमों का पालन करना जरूरी है।
 

सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में एसडीएम वैभव गुप्ता ने कहा कि अभी कोरोना का खतरा टला नहीं है। कोरोना नए-नए रूप बदलकर आ रहा है। इसलिए हमें कोविड गाइडलाइन के अनुरूप ही काम करना होगा ताकि कोरोना को मात दे सकें। कोरोना काल में आशा कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्य कर्मियों ने अपने परिवार से दूर रहकर जान जोखिम में डालकर दिन-रात काम किया है। साथ ही लोगों की जान बचाई है।

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