राष्ट्रीय महत्व की विरासत के रूप में संरक्षित होगा तुंगनाथ मंदिर

उत्तराखंड : उत्तराखंड राज्य अपने मंदिरों और देवस्थानों के लिए खास जाना जाता है। ऐसे अनेकों मंदिर यहां मौजूद हैं जो सैकड़ों सालों से अस्तित्व में हैं। जिनका नाम इतिहास में दर्ज है व जिन पर आज भी लोगों का अटूट विश्वास और श्रद्धा है।
इनमें ऐसा ही एक मंदिर रुद्रप्रयाग में स्थित है। यह मंदिर और कोई नहीं बल्कि विश्वभर में प्रसिद्ध तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर है। विश्व के सबसे ऊंचे शिवालय तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के प्राचीन मंदिर को राष्ट्रीय महत्व की विरासत के रूप में संरक्षित किया जाएगा। अगले साल से मंदिर के सभामंडप के संरक्षण का कार्य शुरू होगा। मंदिर व परिसर के संरक्षण के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) द्वारा केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।
तुंगनाथ मंदिर गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले के तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है। यह मंदिर पंच केदार में से एक है और पंच केदारों में यह दूसरे नंबर पर आता है। यह पंच केदारों में सबसे ऊंचाई पर स्थित है। 3,680 मीटर की ऊंचाई पर बना यह मंदिर हजार वर्ष से भी अधिक पुराना माना जाता है।
रुद्रप्रयाग जिलाधिकारी वंदना सिंह ने बताया कि मंदिर परिसर के 500 वर्ग फीट क्षेत्रफल में राजस्थान से मंगवाए गए कटप्पा पत्थर लगाए जा रहे हैं। इसको लगाने के बाद मंदिर परिसर की सुंदरता और भी अधिक निखर जाएगी। मंदिर और भी अधिक आकर्षक और सुंदर हो जाएगा। 
अप्रैल 2021 में प्राचीन मंदिर के सभामंडप को सुरक्षित करने का कार्य शुरू किया जाएगा। सभामंडप की पुरानी दीवारों को खोलकर कत्यूरी शैली में नव निर्माण कर सुरक्षित व संरक्षित किया जाएगा। साथ ही संपूर्ण मंदिर व परिसर की सुरक्षा व जीर्णोद्धार के लिए प्रस्ताव तैयार कर केंद्र को भेज दिया गया है।
डा. आरके पटेल (अधीक्षण पुरातत्वविद्, देहरादून मंडल) ने बताया कि अप्रैल 2021 में इसकी मरम्मत की जाएगी। तृतीय केदार को राष्ट्रीय महत्व की विरासत के रूप में संरक्षित करने के लिए प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेज दिया गया है। सभी औपचारिकताएं पूरी होने में लगभग डेढ़ वर्ष का समय लगेगा।

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