द्वितीय केदार मदमहेश्वर के कपाट बंद, 6 महीने तक यहां होगी पूजा

द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए आज सुबह विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए । इस दौरान धाम में 150 से ज्यादा भक्तों ने भगवान के दर्शन किए।

 

द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर के कपाट गुरुवार को सुबह आठ बजे रीति-रिवाजों के साथ शीतकालीन के लिए बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना होकर पहली रात्रि प्रवास के लिए सीमांत गांव गौंडार पहुंचेगी।

24 नवंबर को डोली छह माह की शीतकालीन पूजा-अर्चना के लिए पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी। मंदिर समिति द्वारा मंदिर की साज सज्जा के साथ अन्य तैयारियां जोरों पर की जा रही हैं।

आज तड़के से ही मंदिर में बाबा मद्महेश्वर की पूजा-अर्चना शुरू हो गई थी। मुख्य पुजारी ने आराध्य का श्रृंगार कर भोग लगाया ।सभी धार्मिक औपचारिकताओं को पूरा करते हुए गर्भगृह में स्थापित स्वयंभू लिंग को समाधि रूप देकर विशेष पूजा और आरती की गई।

इसके बाद द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की भोग मूर्तियों को चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान किया गया।

आराध्य के आगमन पर 23 नवंबर से ऊखीमठ में तीन दिवसीय मद्महेश्वर मेला भी शुरू हो रहा है, जिसकी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं।

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