सुप्रीम कोर्ट ने उठाया नदियों को प्रदूषण से बचाने का जिम्मा, पांच राज्यों को भेजा नोटिस

नई दिल्ली : बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने विषाक्त कचरा प्रवाहित होने के कारण देश की नदियों के प्रदूषित होने का संज्ञान लिया। कोर्ट ने यमुना नदी से इसकी शुरुआत करते हुए उत्तर प्रदेश और दिल्ली समेत 5 राज्यों को नोटिस जारी किया है। इन राज्यों में उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण मुक्त जल नागरिकों का मौलिक अधिकार है और शासन यह सुनिश्चित करने के लिये बाध्य है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामासुब्रण्यम की बेंच ने यह फैसला लिया है कि सीवर के पानी से नदियों को बचाने का समय आ गया हैऔर वह सबसे पहले यमुना नदी के प्रदूषण के मामले पर विचार करेगी।
न्यायालय ने दिल्ली जल बोर्ड की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान देश भर की नदियों के प्रदूषण की न्यायिक समीक्षा का दायरा बढ़ा दिया। दिल्ली जल बोर्ड का आरोप था कि हरियाणा से यमुना नदी में खतरनाक दूषित तत्वों वाला जल छोड़ा जा रहा है। इस मसले को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए पीठ ने कहा है कि इसका असर न केवल आम जनता पर पड़ता है बल्कि उन सभी जीव जंतुओं पर पड़ता है जो भूजल पर आश्रित हैं। स्वच्छ पर्यावरण और प्रदूषणमुक्त पानी का अधिकार जीवन जीने के अधिकार के तहत संरक्षित है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘पेश याचिका में उठाये गये मुद्दे के अलावा भी उचित होगा कि सीवेज के दूषित कचरे से नदियों के प्रदूषित होने का स्वत: संज्ञान लिया जाये और यह सुनिश्चित किया जाये कि नदियों में सीवर का दूषित जल छोडने के मामले में नगरपालिकायें इस संबंध में अनिवार्य प्रावधान लागू करें।’’
यमुना के जल में अमोनिया का स्तर बढ़ने पर दिल्ली जल बोर्ड आमतौर पर जलापूर्ति रोक देता है। जल बोर्ड ने हाल ही में शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर यह आरोप लगाया और हरियाणा को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया कि नदी में प्रदूषण रहित जल छोड़ा जाये। 
न्यायालय ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड की याचिका दूषित जल छोड़े जाने के कारण यमुना नदी में अमोनिया का स्तर बढ़ने के बारे में है लेकिन इसमें आम जनता के लिये ही नहीं बल्कि सतही जल पर निर्भर रहने वाले सभी लोगों से संबंधित महत्वपूर्ण विषय उठाया गया है।’’
न्यायालय ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा को कोर्ट सलाहकार नियुक्त किया है। मीनाक्षी ने कहा कि उन्हें हरियाणा में अमोनिया शोधन संयंत्र रखना है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने भी कहा था कि सोनीपत में उनका एसटीपी काम नहीं कर रहा है। पीठ ने जानना चाहा कि प्रदूषक कम करने के लिये उन्हे क्या करना चाहिए। इसके साथ ही पीठ ने इस मामले को मंगलवार के लिये सूचीबद्ध कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड से कहा कि इस याचिका की प्रति और नोटिस की तामील हरियाणा पर करे ताकि वह अपना जवाब दाखिल कर सके।

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