रानीखेत में 13 एकड़ जमीन में तैयार हुआ देश का पहला जंगल हीलिंग सेंटर, हुआ शुभारंभ

नैनीताल : भारत का पहला हीलिंग सेंटर प्रदेश के रानीखेत में तैयार हो चुका है। वन अनुसंधान केंद्र ने रानीखेत के कालिका में देश का पहला फॉरेस्ट हीलिंग केंद्र खोला है, जहां आप हीलिंग चिकित्सा पद्धति के माध्यम से लोग उपचार ले सकते हैं। यह जापानी तकनीक पर आधारित सेंटर है।
यह सेंटर लगभग 13 एकड़ में फैला हुआ है। यहां होने वाला उपचार प्राचीन भारतीय परंपराओं की चिकित्सा पद्धति पर आधारित है। तमाम तरह के तनाव से जूझ रहे लोग प्रकृति के बीच रहकर तनाव से मुक्ति पा सकते हैं। हीलिंग सेंटर में मोबाइल व कैमरा ले जाने पर मनाही है। ताकि ध्यान सही से लग सके।


रविवार को मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी की मौजूदगी में हीलिंग सेंटर का उद्घाटन हुआ। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज भी भाग दौड़ की जिंदगी में लोग किसी न किसी तरह के तनाव में रहते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य तनावग्रस्त लोगों को तनाव से बाहर निकालना है। लोग जंगल के अंदर जाकर ध्यान लगा सकते हैं। इस सेंटर के लिए पांच हैक्टेयर वन क्षेत्र को विकसित किया गया है। यहां दो ट्री हाउस, जंगल वॉक के लिए पगदंडी विकसित की गई है।
उन्होंने बताया कि हीलिंग सेंटर में चार तरह की गतिविधियां होगी। जिनसें मानसिक तनाव दूर होने के साथ शरीर को तंदरूस्त रखने में भी मदद मिलेगी। जापान में 1982 के राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत इसे लागू किया गया था। इन जगहों के वन एवं प्रकृति आधारित उपचार पद्धति माना जाता है। जिसमें मानव इंद्रियों की संवेदना को प्रकृति से जोड़कर मानसिक व शारीरिक समस्याओं का उपचार होता है। ताकि मानसिक शांति की की अनुभूति हो सके।
वह प्रकृति के नजदीक बैठकर तनाव मुक्त हो सकते हैं। इस तरह के और सेंटर प्रदेश में अन्य जगहों पर भी विकसित किए जाएंगे। वनों का महत्व मानव जीवन में कहीं अधिक है, यह देश का पहला हीलिंग सेंटर है। इसके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे। 
चिपको आंदोलन के दौरान जंगल को बचाने के लिए गौरा देवी व अन्य महिलाओं के पेड़ से लिपटने का मामला दुनिया भर में सुर्खियों में रहा। रानीखेत के हीलिंग सेंटर में लोग पेड़ को गले लगाएंगे। यानी एक तरह से पारंपरिक उपचार विधि है। कई देशों में इस पर प्रयोग हो चुके हैं।

नंगे पांव चलना
वन अनुसंधान के मुताबिक ठंडे इलाकों के जंगल क्षेत्र में एक खास किस्म के रासायनिक तत्व होते हैं। यहां नंगे पांव चलने पर सफेद रक्त कणिकाओं की मात्रा बढ़ती है। जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।

वन में ध्यान की व्यवस्था
प्राचीन काल से ऋषि-मुनि जंगल व पर्वतों के बीच तप व ध्यान करते रहे हैं। जंगल के बीच में जगह-जगह बैठने की व्यवस्था कर ध्यान लगाने की व्यवस्था की गई है।

ट्री हाउस की व्यवस्था
ध्यान लगाने के लिए ट्री हाउस भी तैयार किए गए हैं। वन अनुसंधान के मुताबिक पेड़ों के बीच में छोटे-छोटे ट्री हाउस तैयार किए गए हैं। जिनमें बैठकर लोग ध्यान लगाएंगे।

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