चमोली के रैणी गांव में भूस्खलन का खतरा, भारी बारिश से हुए बुरे हाल

चमोली : इस साल सात फरवरी को चमोली जिले में ऋषिगंगा नदी में भयानक आपदा आई। इस आपदा की वजह से तपोवन और रैणी  गांव भी खासे प्रभावित हुये। इस घटना के बाद से रैणी गांव के मकानों में दरारे हैं। पूरी दुनिया को एक संदेश देने वाली गौरा देवी के गांव रैणी पर भूस्खलन ने संकट के बादल खड़े कर दिए हैं। 
बारिश से नम हुई गांव की तलहटी को ऋषिगंगा नदी तेजी से काट रही है। इसके चलते कुछ मकान ध्वस्त हुए हैं, जबकि कुछ ध्वस्त किए जा रहे हैं। चार दिन की बारिश में यहां के 13 परिवारों को स्कूल में शरण लेनी पड़ी है। गांव की जमीन दरक रही है। मकान भूस्खलन की चपेट में आ रहे हैं। ग्रामीण भय के माहौल में जीने को मजबूर हैं। 
अब गांव के लोगों को विस्थापित करने की बारी आ गई है। नदी से हो रहे कटाव और धंस रही जमीन की वजह से 13 मकान पूरी तरह खतरे की जद में आ गए। इन मकानों में रह रहे परिवारों को रैणी वल्ली के स्कूल में अस्थाई तौर पर ठहराया गया है। 
ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें स्कूल में तो ठहरा दिया है, लेकिन उनके लिए खाने और बिस्तर तक का ठीक से इंतजाम नहीं किया गया है। गांव के बाकी लोग भी भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि पता नहीं अब गांव का क्या होगा। इस बरसात में उन्हें भी कहीं और जाना पड़ेगा या फिर आपदा की भेंट चढ़ जाएंगे।
अब तो वहां भी पहाड़ धंसने लगे हैं। जिनके बच्चे बाहर मैदानी शहरों में नौकरी करते हैं और जिनके दूसरे कस्बों- शहरों में घर हैं, वे चले गए। बाकी जिनका गांव के अलावा कहीं ठिकाना नहीं है, वे अपने मवेशियों को लेकर कहां जाएं।
गांव में भूस्खलन के खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन ने जियोलॉजिकल टीम के जरिये रैणी गांव क्षेत्र का भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया। साथ ही प्रभावित परिवारों के विस्थापन के लिए प्रशासन ने चिह्नित भूमि का भी सर्वे किया। प्रशासन के अनुसार जियोलॉजिकल सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद आगे कार्रवाई की जाएगी।

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