उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, सांकेतिक यात्रा पर विचार करने को कहा

नई दिल्ली : उत्तराखंड में भले ही इस साल भी पिछली बार की तरह कोरोना संक्रमण को ध्यान में रख कांवड़ यात्रा रद्द कर दी गई। लेकिन उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर सस्पेंस अभी तक बना हुआ है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कांवड़ यात्रा को मंजूरी दिए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को कोरोना के मद्देनजर यहां तक कि ‘प्रतीकात्मक' कांवड़ यात्रा का भी आयोजन नहीं करने पर विचार करने को कहा। साथ ही शीर्ष अदालत ने राज्य में ‘प्रतीकात्मक' कांवड़ यात्रा का आयोजन नहीं करने के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार से 19 जुलाई तक जवाब मांगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी है कि प्रदेश में कांवड़ यात्रा पर पूरी तरह रोक नहीं रहेगी, सांकेतिक रूप से कांवड़ यात्रा जारी रहेगी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह सीमित संख्या में तीर्थयात्रियों के साथ राज्य के अंदर कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। साथ ही राज्य में कांवड़ियों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने पर विचार करे। सरकार को इस पर सोमवार तक जवाब देना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जीने का अधिकार सर्वोपरि है और हर तरह की भावनाएं संविधान के अनुच्छेद 21 के अधीन हैं।  केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि राज्यों को कांवड़ यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी और गंगा जल की व्यवस्था निर्दिष्ट स्थानों पर टैंकरों द्वारा की जाएगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने अदालत को बताया कि उसने उपयुक्त कोविड-19 पाबंदियों के साथ ‘प्रतीकात्मक' कांवड़ यात्रा आयोजित करने का निर्णय किया है।
केंद्र ने कहा कि यह सदियों पुरानी प्रथा है और धार्मिक भावनाओं को देखते हुए राज्यों को टैंकरों के माध्यम से पवित्र गंगाजल उपलब्ध कराने के लिए एक प्रणाली विकसित करनी चाहिए। केंद्र ने कहा है कि कोरोना की वजह से हरिद्वार से गंगाजल लेकर कांवड़ियों का अपने इलाके के मंदिर तक जलाभिषेक के लिए आना से ठीक नहीं होगा, इसलिए बेहतर होगा कि टैंकर के ज़रिए गंगाजल जगह जगह उपलब्ध करवाया जाए।

पुनर्विचार करे नहीं तो हम आदेश जारी करेंगे: कोर्ट
जस्टिस आर एफ नरीमन ने कहा कि कोविड ने सभी को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि हम सब भारत के नागरिक हैं और यूपी सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करे, नहीं तो हमें जरूरी आदेश देना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कांवड़ यात्रा फिजिकल तरीके से कराने पर पूरी तरह से रोक नहीं लगती। जिसपर केंद्र भी सहमत है। यूपी सरकार के वकील ने कहा कि सरकार से निर्देश लेकर वह सोमवार को अदालत को जवाब देंगे।

उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा पर रोक
बता दें कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए उत्तराखंड सरकार अभी से अलर्ट मोड पर है और यही वजह है कि कांवड़ यात्रा को रद्द करने के बाद बॉर्डर पर भी सतर्कता बढ़ा दी गई है। दरअसल सरकार नहीं चाहती कि पाबंदी लगाने के बाद कोई भी भक्त 25 जुलाई से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा के लिए हरिद्वार पहुंचे। यही सुनिश्चित करने के लिए अब अन्य राज्यों से लगते उत्तराखंड के सभी बॉर्डर्स पर सुरक्षा बढ़ा दी जाएगी।

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